चंडीगढ़ (ब्यूरो चीफ)- पंजाब में शिक्षा के क्षेत्र में एक नया युग शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों में सरकारी स्कूलों की तस्वीर और तक़दीर दोनों बदल दी है। एक समय जो स्कूल संसाधनों की कमी, गिरते रिजल्ट्स और कम दाखिलों के लिए बदनाम थे, आज वही स्कूल शिक्षा के राष्ट्रीय मानकों में प्रथम स्थान पर चमक रहे हैं। नेशनल अचीवमेंट सर्वे में पंजाब का देशभर में पहले स्थान पर आना इस बात का ठोस प्रमाण है कि राज्य में शिक्षा केवल वादों तक सीमित नहीं रही, बल्कि ज़मीन पर क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं।
पंजाब में शिक्षा क्रांति की झलक: बड़ी उपलब्धियां
1. स्कूल ऑफ एमिनेंस की स्थापना से विश्वस्तरीय शिक्षा की शुरुआत
राज्य में 118 स्कूल ऑफ एमिनेंस की स्थापना की गई है, जिनमें विश्वस्तरीय सुविधाएं, अत्याधुनिक लैब्स, स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लाइब्रेरी और विषय-आधारित लर्निंग मॉडल को लागू किया गया है। इन स्कूलों में प्रतिभाशाली छात्रों को विज्ञान, तकनीक, गणित, आर्ट्स और स्पोर्ट्स जैसे क्षेत्रों में विशेष मार्गदर्शन मिल रहा है।
2. सरकारी स्कूलों के छात्रों की राष्ट्रीय स्तर पर सफलता
1137 छात्रों ने जेईई और नीट जैसे कठिनतम प्रतियोगी परीक्षाओं को पास कर इतिहास रच दिया है। यह वो छात्र हैं जिन्होंने सरकारी स्कूलों से पढ़ाई की और सीमित संसाधनों के बावजूद राष्ट्रीय मंच पर अपनी योग्यता साबित की।
3. निजी स्कूल छोड़ सरकारी स्कूलों की ओर रुझान
पिछले तीन वर्षों में लगभग 79,263 छात्रों ने निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। यह बदलाव जनता के विश्वास को दर्शाता है कि सरकारी स्कूल अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का पर्याय बन चुके हैं।
4. ग्रामीण और शहरी छात्रों के लिए मुफ्त बस सेवा
राज्य सरकार ने पहली बार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के छात्रों के लिए मुफ्त स्कूल बस सेवा शुरू की है। इससे विशेषकर दूरदराज़ के इलाकों में रहने वाले बच्चों को स्कूल तक पहुंचना आसान हो गया है और ड्रॉपआउट रेट में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
5. शिक्षक और प्रिंसिपल्स को अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग
सरकारी स्कूलों के 300 से अधिक प्रिंसिपल्स और अध्यापकों को सिंगापुर और फिनलैंड जैसे देशों में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है। इन देशों के शिक्षा मॉडल को समझने और पंजाब में लागू करने का मकसद है कि अध्यापन की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे।
फंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर में ऐतिहासिक निवेश
1. शिक्षा बजट में बढ़ोतरी
भगवंत मान सरकार ने पिछले तीन वर्षों में शिक्षा क्षेत्र के लिए कुल 14,000 करोड़ रुपए से अधिक का बजट निर्धारित किया है। यह बजट स्कूलों के निर्माण, मरम्मत, स्मार्ट सुविधाएं, डिजिटल शिक्षण साधन और शिक्षकों की ट्रेनिंग पर खर्च किया गया।
2. सीड मनी योजना के तहत 10.32 करोड़ रुपए जारी
छात्रों की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को 10.32 करोड़ रुपए की सीड मनी दी है। इसका उद्देश्य बच्चों को बिजनेस, प्रोजेक्ट व नवाचार की दुनिया से जोड़ना है ताकि वे भविष्य में नौकरी देने वाले बन सकें।
3. डिजिटल और वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का निर्माण
राज्य भर के सरकारी स्कूलों में 700 से अधिक आधुनिक कंप्यूटर लैब्स, 500 से अधिक साइंस लैब्स, और डिजिटल स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ छात्रों की वैज्ञानिक समझ और टेक्नोलॉजी में रुचि बढ़ी है।
स्किल ट्रेनिंग और रोजगार की तैयारी
1. विशेष स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स
छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में उपयोगी कौशलों में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। स्किल इंडिया मिशन के तहत सरकारी स्कूलों में कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग, बेसिक फाइनेंस, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों की ट्रेनिंग दी जा रही है।
2. रोजगार देने की सोच
पंजाब सरकार का विज़न साफ़ है कि राज्य के युवा नौकरी मांगने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें। इसके लिए छात्रों को उद्यमिता, स्टार्टअप और व्यवसायिक सोच की ट्रेनिंग स्कूल स्तर से दी जा रही है।
पंजाब में शिक्षा के क्षेत्र में जो बदलाव आए हैं, वे केवल नीतियों या घोषणाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका असर ज़मीन पर साफ नज़र आता है। सरकारी स्कूल अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, स्किल ट्रेनिंग, डिजिटल शिक्षा और नवाचार का केंद्र बन चुके हैं। भगवंत मान सरकार ने यह साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो सरकारी व्यवस्था भी प्राइवेट सेक्टर से बेहतर परिणाम दे सकती है।
आगामी वर्षों में पंजाब की शिक्षा नीति पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकती है। शिक्षा के इस उजाले से न केवल विद्यार्थियों का भविष्य रोशन होगा, बल्कि राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी ऐतिहासिक सुधार आएगा।