भगवंत मान सरकार का ऐलान, नशा पीड़ितों के लिए बनेगा वरदान

चंडीगढ़ (ब्यूरो ऑफिस)- पंजाब एक बार फिर नई उम्मीदों और इरादों के साथ नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। इस बार राज्य सरकार ने सिर्फ नशे की आपूर्ति रोकने तक खुद को सीमित नहीं रखा है, बल्कि इस गंभीर समस्या के मानसिक और सामाजिक पहलुओं पर भी गंभीरता से ध्यान दिया है। सरकार द्वारा 350 काउंसलरों की भर्ती करके नशे की चपेट में आए युवाओं के लिए एक नई काउंसलिंग मुहिम शुरू की जा रही है, जो केवल इलाज नहीं, बल्कि सहारा और समझ का मंच बनेगी।
यह एक ऐतिहासिक पहल है जो केवल सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि राज्य सरकार की संवेदनशील सोच की गवाही देती है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस संकट को समझदारी से देखते हुए, नशे के खिलाफ लड़ाई को केवल कानूनी या पुलिसी मामला न मानकर एक मानसिक और सामाजिक चुनौती के रूप में स्वीकार किया है। वह नहीं चाहते कि नशे की लत में फंसा कोई भी युवा अकेलेपन, तनाव या मानसिक पीड़ा से गुजरे। सरकार द्वारा स्थापित किए जा रहे काउंसलिंग सेंटर युवाओं को इस जानलेवा बीमारी से बचाने में मदद करेंगे, जहां उन्हें सिर्फ उपचार नहीं बल्कि सहानुभूति, सुनवाई और हौसला मिलेगा।
इस मुहिम की विशेषता यह है कि यह ज़मीनी स्तर से जुड़ी हुई है। बीते समय में, पंजाब सरकार ने नशे के खिलाफ केवल रैलियाँ या बैठकें करके ही नहीं, बल्कि सीधी कार्रवाई के ज़रिए भी ठोस परिणाम दिए हैं। नशे की सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए नए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी ढांचे, खुफिया विभाग की पुनर्रचना और गांव स्तर पर जन-जागरूकता अभियानों की शुरुआत की गई है। इसके परिणामस्वरूप आए दिन हो रही तस्करी की गिरफ्तारियाँ और जब्त की जा रही नशीली सामग्री इस बात का साफ़ सबूत हैं कि सरकार ने यह लड़ाई आधी छोड़ने के लिए नहीं, बल्कि अंत तक लड़ने के लिए शुरू की है।
काउंसलरों की भर्ती से नशे के खिलाफ चल रही यह लड़ाई और भी गहरी और असरदार बन जाएगी। वे युवा जो कई बार सामाजिक दबाव, घरेलू तनाव या निराशा के कारण नशे की ओर मुड़ जाते हैं, उनके लिए ये सेंटर एक नई राहत बनकर सामने आएंगे। काउंसलर न सिर्फ़ उन्हें सुनेंगे, बल्कि उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन भी देंगे।
सामाजिक रूप में भी यह मुहिम एक बड़ा बदलाव ला सकती है। जहाँ पहले नशे के शिकार व्यक्ति को उपेक्षा या हंसी का पात्र समझा जाता था, अब उसे एक पीड़ित, एक मरीज, एक इंसान के रूप में देखने की सोच शुरू हो रही है। सोच का यही बदलाव असली तरक्की है।
यह संपादकीय केवल सरकार की प्रशंसा करने के लिए नहीं, बल्कि एक संवेदनशील समाज की नींव रखने के लिए लिखी गई है। जब तक नशे से पीड़ित कोई भी युवा खुद को अकेला महसूस करता रहेगा, यह मुहिम अधूरी मानी जाएगी। लेकिन यदि हम सरकार के इन कदमों को अपना समझकर साथ चलें, तो यह उजाला घर-घर तक पहुंच सकता है।
यह नई पहल, यदि निरंतरता और संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ी, तो पंजाब एक बार फिर अपने युवाओं की एक नई पीढ़ी तैयार करेगा—जो नशे की इस लानत को हराकर उम्मीदों का नया इतिहास लिखेगी।

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