जालंधर/फगवाड़ा : ब्यास नदी का जल स्तर बढ़ने से लोगों में दहशत का माहौल बन गया है। ब्यास नदी का जल स्तर बढ़ा, लोगों में दहशत हिमाचल में लगातार बारिश होने से नदियां उफान पर हैं जिससे पंजाब के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। ब्यास दरिया के निकट पड़े, शाहकोट, मलसियां सहित मंड क्षेत्र में खेती करना बेहद जोखिम भरा है, क्योंकि कोई नहीं जानता कि दरिया कब अपना रास्ता बदल दे और उनकी जमीन और फसलों को बहा ले जाए।
इस संबंध में राज्य सभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने मंड क्षेत्र का दौरा किया, जहां ब्यास नदी का पानी अग्रिम तटबंध तक पहुंचने से क्षेत्र के किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। संत सीचेवाल ने सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता को निर्देश दिए कि वह किसानों के साथ समन्वय बनाए रखें और जहां भी तटबंध कमजोर दिखाई दे, वहां मिट्टी से भरे रेत के बोरे तैयार रखें।
उन्होंने किसानों का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें भरोसा दिलाया कि संकट की हर घड़ी में वे उनके साथ खड़े रहेंगे। मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि ब्यास नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि ढिलवां पुल के पास इस समय 80,000 क्यूसेक पानी बह रहा है। अगर यह प्रवाह 1,00,000 क्यूसेक से ज्यादा हुआ, तो अग्रिम तटबंध के संवेदनशील हिस्सों में दरार पड़ने का खतरा बढ़ जाएगा। उल्लेखनीय है कि ब्यास नदी के अंदर स्थित अग्रिम तटबंध कई स्थानों पर असुरक्षित बताए जा रहे हैं। 2023 में इस तटबंध के टूटने से धान की फसल को भारी नुकसान हो सकता है। इस क्षेत्र में हर साल लगभग 25,000 से 30,000 एकड़ में धान की खेती होती है।